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गुरुवार, 22 सितंबर 2016

गद्दार है ABP News चैनल ...




कुछ दिनों से गौर कर रही हूँ ।कुछ नामचीन लेखक/लेखिकाएं मुझे अन्फ्रेंड किये जा रहे हैं ।एक नामी प्रकाशक ने भी अन्फ्रेंड कर दिया ।वैसे भी कभीकभार ही वे लोग मेरी वाल पर आते थे
मैं भी उनके स्टेटस पर नियमित नहीं थी पर जन्मदिन , एनिवर्सरी, किसी खुशखबरी की बधाई जरूर दिया करती थी ...जाने क्या वजह मिली उन्हें मुझे अन्फ्रेंड करने की . 200 से ऊपर म्युचुअल फ्रेंड्स हैं ।अब सब तो उनके स्टेटस पर नहीं पहुंचते होंगे पर ये खुशकिस्मती मुझे ही हासिल हुई कि मेरे नाम पर क्लिक कर बकायदा अन्फ्रेंड किया गया :)
एक शेर याद आ गया
दिल तो चाहता है, सज़दा करे
पर बेनमाज़ी हूँ, झुका नहीं जाता


वैशाली मेट्रो से उतरकर जब आप शॉप्रिक्स मॉल तक जाएंगे तो तीन लेन की सड़क है। इस सड़क का नाम श्री मंजीत ठाकुर मार्ग है। मॉल के सामने से जो सड़के पीएनबी होते हुए मेरे घर तक जाती है उसका नाम श्री मंजीत ठाकुर लेन है। जिनको नहीं पता कृपया जान लें।


Prashant Priyadarshi feeling incomplete.
कभी कभी लगता है यहाँ सिर्फ दो ही किस्म के लोग हैं.
१. जिन्हें लगता है हर समस्या की जड़ मोदी और दक्षिणपंथी संगठन हैं.
२. जिन्हें लगता है हर समस्या की जड़ वामपंथी हैं.


हाइबरनेशन में पड़ी पुरानी पोस्टों को लाइक या कमेंट कर ज़िंदगी देने वाले दोस्तों को सलाम.

डेंगू चिकुनगुनिया अपडेट -- कल IMA में हुए एक पैनल डिस्कशन से :
दोनों ही रोग मच्छर के काटने से होते हैं जो साफ पानी में पनपते हैं। इसलिए बचने का एक ही उपाय है कि घर में और आस पड़ोस में पानी इकठ्ठा न होने दें। विशेषकर छोटी छोटी चीज़ें जैसे गमले के टूटे टुकड़े , छत पर पड़े टूटे फर्नीचर या अन्य वस्तुएं जिनमे थोड़ा सा भी पानी जमा हो सकता है , मच्छरों के पनपने के लिए काफी हैं। इसलिए समय समय पर निगरानी करते रहना ज़रूरी है। ज़मीन पर या नालियों में कहीं पानी का भराव है तो उसमे मिटटी का तेल या टेमीफॉस दवा डालने से मच्छरों के लार्वा मर जाते हैं।
डेंगू वायरस के ४ स्ट्रेन होते हैं - १,२,३,४ । १ और ३ स्ट्रेन कम खतरनाक होते हैं जबकि २ और ४ स्ट्रेन से ज्यादा गंभीर रोग हो सकता है। पता चला है कि दिल्ली में इस बार १ और ३ स्ट्रेन से डेंगू हुआ है , इसलिए इस बार डेंगू का प्रकोप कम है। एक बार एक स्ट्रेन से डेंगू होने पर उम्र भर के लिए उस स्ट्रेन से रक्षा रहती है। लेकिन किसी अन्य स्ट्रेन से डेंगू होने पर रोग ज्यादा गंभीर हो सकता है। इसलिए डेंगू से बचाव बहुत आवश्यक है।
चिकुनगुनिया एक बार होने पर जिंदगी भर दोबारा नहीं होता। लेकिन किसी भी वायरल बुखार में जोड़ों में दर्द दोबारा हो सकता है। वैसे यह रोग सिर्फ दर्द ही देता है , मृत्यु नहीं। लेकिन साथ में अन्य पुराने रोग हों तो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। दोनों ही बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल की गोली लेनी चाहिए और द्रव पदार्थों का सेवन खूब करना चाहिए ताकि पानी की कमी न हो। तेज बुखार में पानी की पट्टियां बहुत काम आती हैं। कोई अन्य दवा डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए।
( सड़क पर एक नेताजी का बोर्ड लगा है , जिसपर लिखा है -- मच्छरों से बचें , डेंगू चिकुनगुनिया न होने दें )



एक झोले में सब कुछ है। अपड़ा-कपड़ा, भगवान और दूसरे झोले में पानी का जग, खाने का सामान। उम्र 75 साल, भेष साध्वी का। जौनपुर से चढ़ी हैं, काशी जाना है। कहीं रामायण से आ रही हैं। शरीर कमजोर नहीं है, तनकर बैठी हैं। 14 बरस से छोड़ दी हैं घर-द्वार। बोले जा रही हैं...जब नहीं रहे भतार तो साथ हैं भरतार। वही भरता है, वही तार से तार जोड़ता है। पूछता हूँ...बीमार पड़ गईं तो? तपाक से दाहिने हाथ की तरजनी ऊपर कर बोलती हैं... वो नहीं है? वो नहीं देखेगा? मरने से पहिले हमको चारपाई पर रखेगा? बीमार करेगा तो कहाँ रहेगा? करेगा न कुछ व्यवस्था। पूर्ण आत्म विश्वास से भरी सुना रही हैं शिव भजन...आदि शंभु स्वरुप मुनीवर, चंद्र शीश जटा धरम....।
कोई नहीं है साथ, कोई नहीं घर बार, साथ है तो ईश्वर के प्रति गहरी आस्था, भक्ति और इसी के प्रभाव से दमकता, चमकता चेहरा। 'लोहे का घर' रोज कुछ नया दिखाता है, रोज कुछ नया सुनाता है।


पता नहीं किस कोण से देखता है कि उसे मुझमें असाधारणता दिखती है... फिर किसी साल के एक लम्‍हे मेरे एक और दोस्‍त पर हैरान होता है कि पता नहीं कैसे झेलते हो.. इतना औसत व्‍यक्ति तुम्‍हारा दोस्‍त कैसे हो सकता है? मैं बस उसकी हैरानी पर हैरान हो सकता हूँ... दोस्‍त बनाने के लिए आइंस्‍टाइन खोजने चाहिए थे?... वे जो वहॉं थे, बिना कहे थे अपनी समूची औसतता के साथ थे जहॉं मेरे साथ होना चाहिए था... वे तब भी जब मैं तुम्‍हारे साथ खड़े होने के कारण ग्रैंडनेस के पैथोजेन्‍स का कैरियर था और उनके लघुता में दबने की आशंका थी तब भी तमाम अपमान की आशंका के बावजूद वे खड़े थे मेरे साथ...
मैं इस औसतता को किसी विराटता के पासंग नहीं रखूंगा...मेरा जीवन तो औसतता का ही उत्‍सव है। असाधारणता का रोग क्षणों की व्‍याधि है बीत जाएगी।


रात भर जागते हुए नींद को ढूँढा किये
जाने कब नींद आई, सुबह हाथ से निकल गई ...


ये है साउथ ब्लॉक ...
यहीं है प्रधान मंत्रीं का ऑफिस
यहीं पर है भारत का वॉर रूम
मोदी ने यहाँ दो घण्टे बिताया
अजित डोभाल और जल थल वायु सेना प्रमुख रहे उपस्थित
सूत्रों के मुताबिक एक पावर प्वॉइंट प्रेजेंटेशन हुआ
ख़ुफ़िया सूत्रों से पता चला है आतंकी आकाओं को निपटाने की तैयारी चल रही है (छुप जाओ सब)
सूत्रों में मुताबिक सरकार का सब्र टूट चुका है....
अब कोवर्ट ऑपरेशन की तैयारी चल रही है...
---एबीपी न्यूज़
.... ये है भारत की मीडिया रिपोर्टिंग
.... पकिस्तान को अब भी जासूसों की क्या ज़रुरत है ?
.... इन चैनलों की जाँच होनी चाहिए कि इनके 'ख़ुफ़िया' ' और 'उच्च स्तरीय सूत्र' क्या हैं और कौन लोग हैं जो सरकार की हर नीति और हलचल की जानकारी मीडिया को दे रहे हैं ?



बड़ा सलीका सिखाते हैं राह चलते लोग
कि औरों को गिराके खुद को उठाएँ कैसे .......रत्नेश


जब ज़िन्दगी सर के बल खड़े होने की ज़िद पर उतर आए तो आप बस चुपचाप उसके पाँव पकड़ के खड़े रह सकते हो
ताकि हड्डियाँ न टूटें।


मेरा अपना अनुभव है मानना न मानना आपकी मर्ज़ी है, कोई भी बीमारी तब ही अच्छे से अटैक कर पाती है जब मन कमज़ोर पड़ जाता है, मन में विश्वास भरके एक्सरसाइज़ करना न छोड़ें, सुबह-शाम साँसों का अभ्यास और साथ में नीम,गिलोय,एलोवेरा, तुलसी, अदरक, काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पी जायें, ठण्डी चीज़ें खाना छोड़ दें, गरम चाय दूध के साथ पतली खिचड़ी व दलिया... चिकनगुनिया पैर दबाकर भाग लेगा, हाँ हाथ पैरों का दर्द कुछ समय रहेगा, लेकिन नियमित व्यायाम से वह भी ठीक होगा ही होगा... जल्दी ठीक होना चाहते हैं तो आज़माये, मै काफी ठीक हूँ.. जल्दी ही आते हैं नई सेल्फी के साथ...।


नवाज़ शरीफ : पाकिस्तान आतंकवाद से पीड़ित है.
डेंगू मच्छर : मुझे तो खुद चिकनगुनिया हो गया है.




आजकल AAP के विधायक जब भी मिलते हैं तो एक-दूसरे को hello कहने के बजाए पूछते हैं....और कब छूटे?

 

लोक -कल्याण मार्ग नामकरण सराहनीय और स्वागत योग्य है । लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री का सरकारी निवास जिस मार्ग पर है , वहां से लोक -कल्याण का ही सन्देश पूरे देश में जाना चाहिए इसलिए यह एक सार्थक नामकरण है । रेसकोर्स रोड जैसा नाम आभिजात्य वर्गीय अंग्रेजी मानसिकता का प्रतीक था और इस नाम से उस जमाने की याद आती थी ,जब देश पर अंग्रेजों का अवैध कब्ज़ा हुआ करता था । अब लुटियन जोन का नाम भी बदल देना चाहिए , क्योंकि इस नाम से लगता है कि यह लुट चुके लोगों और लुटेरों का इलाका है । लोक कल्याण मार्ग की तरह इसका नाम लोक हितैषी परिक्षेत्र कर देना चाहिए । क्या ख़याल है ज़नाब का ?
कुछ ऐसे मीर जाफर आज भी हमारे बीच हैं जो भारतीय सैनिको की शहादत पर भीतर भीतर खुश हो रहे और दिखावे के तौर पर मोदी को कोस रहे। इनकी चले तो भारत पर इस्लामिक बम ही फोड़ दें। दरअसल अपवादों को छोड़ दें तो हिन्दू मुस्लिम के बीच की खाईं बहुत गहरी है और यह कयामत पर ही पटेगी। वैदिक काल की कौम कैसे दो ध्रुवों में बटती गई और छठी सदी आते आते एकदम विरोधी हो गई एक गहन अनुसंधान का विषय है।
यहां तक की रोजमर्रा की गतिविधियों में खाने पीने पूजा इबादत साफ सफाई में एक उत्तर तो दूसरा दक्षिण। सूर्य चांद तक का और जानवरों तक के बंटवारे हो गए। एक के लिये गाय माता दूसरे के लिये भोज्य। एक के भगवान के कई रुप तो दूसरे के निराकार। एक के लिये गंगा तो दूसरे के लिये आबे जमजम।
हम कभी एक नहीं हो सकते। कोई सूरत नज़र नहीं आती😯

जमूरे !
जी वस्ताद !
तमाशा दिखाएगा ?
दिखाएगा ।
लोगों को हँसाएगा ?
हँसाएगा ।
पाकिस्तान चला जा ।
चला गया ।
वापस आ जा ।
आ गया ।
क्या देखा ?
उधर की फ़ौज़ इधर बीस किलोमीटर घुस गयी है ।
दिखती क्यों नहीं ?
इधर पाकिस्तानी चैनल नहीं आते ।
अपनी वाली उधर दिखी क्या ?
उधर हिन्दी चैनल नहीं आते ।


आज के लिए इतना ही ................

8 टिप्‍पणियां:

  1. भौत दिन पहले 'खड़ी खबर' अचानक दिखनी बंद हो गयी फेसबुक पर.
    चार दिन यहां-वहां पूछ कर रह गया. सोचा किसी दिन कड़कड़डूमा, जमानत अनुभाग से मालूम करूंगा, फिर वो भी भूल गया.
    अब कुछ दिनों से खबर पुन:सामने आ खड़ी हुई. चलो! अच्छा है.

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    1. हा हा हा ये आपने खूब याद दिलाई । अपना स्नेह बनाए रखिएगा ।

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    2. हा हा हा ये आपने खूब याद दिलाई । अपना स्नेह बनाए रखिएगा ।

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  2. ये तो बहुत अच्छा हो रहा है । ये फेसबुक मंच कहिए ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी रेखा जी ये एक प्रयास था कि फेसबुक और ब्लॉग को आपस में ही कुछ गठजोड़ करके प्रयोगत किया जाए परिणाम आपके सामने है | प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत शुक्रिया और आभार

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